History About Varanasi |
History About Varanasi – बनारस का इतिहास वाराणसी में मां गंगा के पश्चिम तट पर मौजूद काशी विश्वनाथ का मंदिर हिंदुओं के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है ये मंदिर भगवान शिवा और माता पार्वती का आदि स्थान माना जाता है भारत में शायद ही किसी और धार्मिक स्थल की इतनी मान्यता है ! बाबा विश्वनाथ जी के दर्शन करने क लिए लाखो लोग यहाँ आते है यह भारत के सात सबसे पवित्र शहरों में से एक है वाराणसी को एक ऐसी जगह के रूप में भी जाना जाता है जहाँ आयुर्वेद और योग परंपराओं के निर्माता पंतजलि रहते थे और शिक्षा देते थे। यह एक महत्वपूर्ण बौद्ध शहर भी है, क्योंकि कहा जाता है कि बुद्ध ने अपना पहला उपदेश यहीं दिया था।
1. Brief history of Varanasi
History About Varanasi |- बनारस का इतिहास बनारस को लेकर ये मान्यता है की जिस व्यक्ति की मृत्यु यहां होती है वह जीवन और मृत्यु चक्कर से मुक्त हो जाता है इन सब के अलावा इसे घाट नगर भी कहा जाता है क्योंकि यहां लगभग 100 से ज्यादा घाट मौजूद है वैसे तो यह नगर कितना प्राचीन है इसके बड़े में कोई ऑथेंटिक प्रमाण नहीं मिलता लेकिन अमेरिकन ट्रैवलर या अमेरिकन ऑथर मार्क टवेन की शब्दों में कहानी तो काशी इतिहास से भी पुराना है परंपराओं यानी ट्रेडीशन से भी पुराना है दांत कथाओ यानी लीजेंड से भी पुराना है यानी सबसे प्राचीन है जब भी हम काशी के इतिहास को जानने का प्रयास करते हैं तो इसके प्रमाण हमें वैदिक साहित्य की और ले जाते हैं काशी शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले अथर्ववेद में मिलता है इसके अलावा कई पुराण जैसे शिवा पुराण ब्रह्म पुराण अग्नि पुराण मत्स्य पुराण स्कंद पुराण में भी काशी शब्द का इस्तेमाल किया गया है इसके साथ ही महाकाव्य महाभारत और रामायण में भी काशी का जिक्र है रामायण में महाराज दशरथ की पत्नी और लक्ष्मण की माता सुमित्रा काशी राज्य की ही राजकुमारी थी बता दी इस खंड पुराण के काशी खंड में लगभग 15000 श्लोक में काशी के विभिन्न तीर्थ के बारे में बताया गया है इसके अलावा 635 भारत आए हुए इंसान ने भी काशी के बड़े में बताया है की काशी एक ऐसा शहर है जो डेंसली पापुलेटेड है और गंगा नदी के किनारे लगभग पांच किलोमीटर तक फैला हुआ है बनारस मध्य गंगा घाट पर बसे पहले प्रमुख शहरो में से एक है सेकंड सेंचुरी से पहले बनारस वैदिक धर्म और दर्शन का केंद्र होने के साथ एक कमर्शियल और इंडस्ट्रियल सेंटर भी था जो अपने मलमल रेशम के कपड़े इत्र हाथी दांत के कम और मूर्ति कल के लिए प्रसिद्ध है 16th सेंचुरी में मुगल बादशाह अकबर ने शहर की धार्मिक और संस्कृत गतिविधियों को एक बार फिर से प्रोत्साहित किया इस दौरान बनारस का नाम बदलकर मोहम्मद आबाद रख दिया गया लेकिन 17 सेंचुरी के अंत में मुगल बादशाह औरंगज़ेब की शासन कल के दौरान बनारस को एक और झटका लगा 1669 में औरंगज़ेब ने विश्वनाथ मंदिर की एक हिस्ट्री को तोड़वाकर वहां ज्ञान व्यापी मस्जिद का निर्माण कर दिया हालांकि 1700 एड के आसपास मराठो यहां एक नए पुनरुत्थान को प्रायोजित किया यहां पर जितने आधुनिक घाट हम देखते हैं उनमें से अधिकांश मराठो द्वारा ही बनवाई गए इतना ही नहीं 1780 में मराठा रानी महारानी अहिल्याबाई होलकर ने काशी विश्वनाथ मंदिर का भी पुनः निर्माण करवाया !
2.Hindu Religion and Varanasi
History About Varanasi | – बनारस एक ऐसी जगह है जहां की सुबह का असर भौतिक मानसिक और आध्यात्मिक इन तीनों अस्तर पर महसूस किया जा सकता है हिंदुओं की सबसे पवित्र शहर से इसे जाना जाता है ! हिंदू पुराणों में बनारस का एक प्राचीन नाम वाराणसी है जो दो नदियों वरुण अशी से मिलकर बना है ! यूं तो कई छोटी और बड़ी नदियां इस शहर से होकर गुजराती है लेकिन इन दोनों नदियों का शहर से अलग लगाव है मान्यता है कशी नगरी को खुद भगवन शिव ने बसाया था देवी पार्वती से अपने विवाह के बाद शिवा उनके साथ यहां रहने आए थे और इसी कभी छोड़कर ना जाने की बात कहीं थी तब से ही काशी शिव की नगरी कहलाता है इसे महादेव का पर्याय भी माना जाता है शिवा के बिना काशी की कल्पना अधूरी है इस शहर की हर गली हर कच पर शिव की गहरी छाप है इस शहर में भगवान शिव को समर्पित सैकड़ो मंदिर हैं जिसमें सबसे प्रमुख है काशी विश्वनाथ मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है यह गंगा के पश्चिम तट पर स्थित है ! 1835 में महाराजा रंजीत सिंह ने मंदिर को 1000 किलोग्राम सोना दान दिया इससे मंदिर की कलश को बनवाया गया था भगवान शिव के अलावा बनारस में दूसरे देवी देवताओं के भी बेहद प्रसिद्ध मंदिर हैं जैसे संकट मोचन हनुमान जी मंदिर जिसे महाकवि तुलसीदास ने एस्टेब्लिश किया था यहां हर साल होने वाला म्यूजिक फेस्टिवल पूरे वर्ल्ड में फेमस है ! विश्वनाथ मंदिर के पास ही माता अन्नपूर्णा का मंदिर है यह मंदिर दुनिया का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां भक्तों को प्रसाद भगवान का भोग लगाने से पहले दे दिया जाता है जीवन की भागम भाग में बनारस का एक दूसरा सत्य है मृत्यु यहाँ मृत्यु को जीवन के अंत की तरह नहीं बल्कि जीवन का ही एक पार्ट माना जाता है हिंदू मान्यता के अनुसार काशी मोक्ष की नगरी है मणिकांका घाट पर दिन-रात मृतकों का अंतिम संस्कार होता है यहां चिता की अग्नि कभी शांत नहीं होती इसीलिए प्राचीन कल से ही देशभर से लोग जीवन की सारि जिम्मेदारी पुरी कर अपने आखरी पलो में यहां मोक्ष प्राप्त करने आते हैं
3. What Makes Varanasi Special
History About Varanasi | – यहां मौजूद 100 से ज्यादा पक्के घाट पुरी नगरी को धनुष्कार स्वरूप देते हैं यहां घाट के किनारे बेस प्राचीन महलों और उसमें रहने वाले लोगों का अलग अंदाज है जिसके हर चीज में झलकती है हमारी संस्कृति और रिवाज सिक्स्थ सेंचुरी में भगवान बुद्ध ने अपना पहले उपदेश यही बनारस के पास सारनाथ में ही दिया था अपनी 5 भिक्षुओं के साथ यही पर उन्होंने बौद्ध संघ की स्थापना की 14th सेंचुरी के प्रमुख संत एवं समाज सुधारक कबीर की जन्मस्थली भी है कबीर के बिना काशी अधूरी है शहर के मध्य कबीर चौरा मोहल्ले में उनका आश्रम है दुनिया भर में मशहूर है इसके साथ ही रविदास जो कबीर के ही समकालीन थे उनका जन्म भी बनारस में ही हुआ था वो मीराबाई के गुरु थे बनारस में अनेक प्राचीन जैन टेंपल मौजूद है
Read More.. Places To Visit In Rishikesh